UP Bypolls- CM योगी ने 5 महीने बदल दिया पूरा गेम? अखिलेश यादव से कहां हो गई गलती

How CM Yogi Change Game in UP: उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बाजी पलट दी है और 9 में से 6 सीटों पर कब्जा कर लिया है, जबकि एक सीट उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के खाते में गई है. वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी

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How CM Yogi Change Game in UP: उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बाजी पलट दी है और 9 में से 6 सीटों पर कब्जा कर लिया है, जबकि एक सीट उसकी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के खाते में गई है. वहीं, दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (SP) ने 5 महीने पहले लोकसभा चुनाव में हासिल की गई रफ्तार खो दी है और पार्टी सिर्फ 2 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. चुनावी राजनीति बहुत कठिन होती है, क्योंकि इसमें बहुत तेजी से बदलाव होता है. खासकर उत्तर प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में जहां नौ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनावों के नतीजों ने सत्तारूढ़ भाजपा को लोकसभा चुनावों में लचर प्रदर्शन के बाद फिर से शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है.

सीएम योगी ने कैसे 5 महीने में पलट दिया पूरा नंबर गेम?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अगस्त में ही 'बंटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारों के साथ उपचुनावों के लिए पार्टी के अभियान की राह तय कर दी थी. इस नारे को हिंदू एकता को मजबूत करने के लिए बड़ी चतुराई से गढ़ा गया था और यह उपचुनावों में गूंजता रहा. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, 'लंबे समय से समाजवादी पार्टी की राजनीति उसके 'एम-वाई' (मुस्लिम-यादव) फैक्टर के इर्द-गिर्द घूमती रही है. वह एक खास समुदाय और जाति से जुड़ा था. भाजपा ने एक नए 'एम-वाई' दृष्टिकोण के साथ इसे बदल दिया है. इस 'एम-वाई' फैक्टर का मतलब है मोदी-योगी. ये दोनों नेता अपने विकास के आख्यान से राजनीतिक विमर्श को बदल रहे हैं और इस उपचुनाव ने फिर से योगी जी की प्रभावशीलता को दिखाया.'

मुस्लिम बहुल कुंदरकी में भी लहराया भगवा

योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे ने मुरादाबाद की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भाजपा की जीत में बहुत बड़ा प्रभाव डाला. यहां पार्टी ने तीन दशकों में जीत हासिल नहीं की थी, लेकिन इस बार मतदाता भाजपा के रामवीर सिंह के पीछे एकजुट हो गए. रामवीर ने कहा, 'सपा ने मुसलमानों को हल्के में लिया और हमने मतदाताओं को सपा नेताओं के इस दावे के बारे में बताया कि उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न पर कोई भी उम्मीदवार जीत सकता है.' रामवीर ने कहा, 'आखिरकार उन्हें अहसास हुआ कि हमारे विरोधियों द्वारा गलत तरीके से बदनाम किए जाने के बावजूद, केवल भाजपा ही उन्हें वोट बैंक के जाल से बाहर निकाल सकती है और निश्चित रूप से हमारे नेतृत्व ने इसमें मदद की.'

'ब्रांड योगी' को मिला बढ़ावा?

कुंदरकी की जीत का महत्व इतना था कि शनिवार शाम को महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की शानदार जीत के बाद दिल्ली में भाजपा कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के भाषण में भी इसका उल्लेख हुआ. उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह है कि जहां भाजपा का वोट बैंक मजबूत हुआ, वहीं सपा का भरोसेमंद मुस्लिम वोट बैंक बिखर गया, जिसने 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों में भी बड़ी संख्या में पार्टी को वोट दिया था. ‘ब्रांड योगी’ को बढ़ावा मिला है, जबकि अखिलेश यादव को कुछ और काम करना है.'

करहल-सीसामऊ में भी कम हुआ जीत का अंतर

यहां तक कि मैनपुरी की करहल सीट के अपने पारिवारिक गढ़ में भी सपा का जीत का अंतर घट गया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट लगभग 67000 वोट के प्रभावशाली अंतर से जीती थी. मगर यह अंतर इस बार घटकर 14000 वोट ही रह गया. करहल सीट पर अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप यादव ने अपने दूर के रिश्तेदार अनुजेश यादव को हराया. कानपुर की सीसामऊ सीट के उपचुनाव में भी सपा का जीत का अंतर कम हो गया. यहां पर सपा की नसीम सोलंकी लगभग 8000 वोट से जीत हासिल कर सकीं.

समाजवादी पार्टी ने खो दी अपनी रफ्तार?

मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (SP) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद हासिल की गई रफ्तार खो दी है. उस समय सपा ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीट में से 37 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा 33 सीट ही प्राप्त कर सकी थी. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में मीरापुर विधानसभा क्षेत्र एक और सीट थी, जहां मुस्लिमों की अच्छी खासी मौजूदगी है. आरएलडी ने 2022 के चुनावों में यह सीट जीती थी. उस समय वह सपा के साथ गठबंधन में थी. रालोद के नेता रोहित अग्रवाल ने कहा, 'रालोद के पास समाज के सभी वर्गों का एक समर्पित वोट बैंक है और हमारे नेता जयंत चौधरी में लोगों का विश्वास एक बार फिर भारी जीत के साथ दिखा.'

क्या सपा-कांग्रेस के बीच सब ठीक है?

कांग्रेस ने उपचुनाव में सपा को समर्थन देने की घोषणा की थी और उसने चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि, दोनों पक्षों के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि गठबंधन में 'सब ठीक है', लेकिन स्थानीय स्तर पर असहमति के स्वर सुनाई दिए. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह 'गोप' ने कहा, 'गठबंधन में कुछ भी गलत नहीं है. कांग्रेस ने हमारी मदद की. हार का मुख्य कारण सरकारी मशीनरी का बड़े पैमाने पर और खुलेआम दुरुपयोग था और लोग 2027 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल कर उसे इसका एहसास कराएंगे.'

बसपा को भी मिली सबसे बड़ी निराशा

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी (BSP) को सबसे ज़्यादा निराशा का सामना करना पड़ा। उनके उम्मीदवार बुरी तरह से चुनाव हार गए, जिससे पार्टी पर फिर से 'वोट कटवा' होने का आरोप लगने लगा. मायावती ने रविवार को अनियमितताओं का आरोप लगाने के बाद घोषणा की कि उनकी पार्टी अब कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी. कांग्रेस सचिव शाहनवाज आलम ने कहा, 'बसपा के बारे में क्या कहा जा सकता है? हम सभी जानते हैं कि यह भाजपा की 'बी' टीम रही है और इस चुनाव ने भी यह साबित कर दिया है, क्योंकि इसने चुनाव जीतने के लिए नहीं बल्कि ‘इंडिया’ गठबंधन की संभावनाओं को कम करने के लिए लड़ा था.' (इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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